चंडीगढ़/पानीपत.हरियाणा में करीब 20 साल बाद फिर से छात्र संघ चुनाव होंगे। सीएम मनोहर लाल ने मंगलवार को मंत्रियों के साथ बैठक में इसकी सैद्धांतिक मंजूरी दी। अब जल्द ही प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। इसके बाद चुनावों की तारीख तय होंगी। यह चुनाव करीब 27 साल पुरानी परंपरा से ही कराए जाने की तैयारी है। यानी इनडायरेक्ट चुनाव।
पहले क्लास अथवा फैकल्टी प्रतिनिधि का चुनाव होगा। ये प्रतिनिधि मिलकर अध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारी के लिए वोट डालेंगे। ऐसा ही वर्ष 1989 से पहले तक होता रहा। बड़े आंदोलनों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री देवी लाल ने यह व्यवस्था बदलकर डायरेक्ट चुनाव कराए। मंगलवार को बैठक के बाद शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने बताया कि चुनाव घोषणा पत्र में वायदे के मुताबिक हमने छात्र संघ चुनाव कराने का सैद्धांतिक फैसला किया है।
1996 में यूं लगा प्रतिबंध
80 और 90 के दशक में छात्रसंघ चुनाव के दौरान विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्र नेताओं की हत्या, हिंसा और राजनीतिक पार्टियों की दखलंदाजी बढ़ने कारण कुलपतियों की सिफारिश पर वर्ष 1996-97 के सत्र से पूर्व सीएम चौधरी बंसीलाल छात्र संघ चुनाव पर रोक लगा दी थी। हालांकि, कुछ नेताओं ने इन चुनाव पर प्रतिबंध को एक साजिश बताया था। प्रतिबंध के बावजूद विभिन्न कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), इंडियन नेशनल स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (इनसो), नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) और स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) जैसे संगठन लगातार छात्र संघ चुनाव की मांग करते रहे और अपने-अपने संगठनों के प्रतिनिधि भी चुनते रहे। इस दौरान इनेलो और कांग्रेस ने छात्र संघ चुनाव का वायदा तो करते रहे, लेकिन अमल नहीं हुआ।
छात्र राजनीति: 3 की गई थी जान
-1986 में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के राज्य अध्यक्ष और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र नेता जसबीर सिंह की हत्या।
-1989 में हरियाणा कृषि विवि (एचएयू) के छात्र नेता व एसएफआई कार्यकर्ता सूबे सिंह श्योकंद की हत्या।
-एमडीयू में छात्र संघ प्रधान देवेंद्र कोच की हत्या की गई थी। हालांकि हत्यारे छात्र नहीं बाहरी थे। इसके बाद से ही बंसीलाल सरकार चुनाव पर रोक लगा दी थी।
1 विवि, 10 कॉलेज को भी मंजूरी
सीएम ने गुड़गांव के काकरौला गांव में सरकारी यूनिवर्सिटी और पंचकूला के माता मनसा देवी परिसर में श्राइन बोर्ड के संचालन में संस्कृत कॉलेज खोले जाने की अनुमति दी है। इनके अलावा रानियां और कालांवाली, पलवल के बडोली, हथीन के मंडकोला, पंचकूला के रायपुररानी, मानेसर, यमुनानगर के बिलासपुर व रादौर और बल्लभगढ़ के मोहना में सरकारी कॉलेज खुलेंगे। हरियाणा में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पंचकूला, करनाल, गुड़गांव और महेंद्रगढ़ में 6 सरकारी कॉलेजों में पायलट आधार पर इन्कयूबेशन सेंटर खोले जाएंगे।
ये होगा चुनाव का फॉर्मूला
कॉलेजों में: कॉलेजों में बीए, बीएससी एवं बीकॉम संकायों के ईयर वाइज चुनाव कराए जा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर बीए प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के स्टूडेंट्स अपना-अपना प्रतिनिधि चुनेंगे। इस प्रतिनिधि को प्रधान अथवा रिप्रेजेंटेटिव जैसा नाम दिया जा सकता है। संकाय और कक्षा वाइज चुने गए प्रतिनिधि ही वोटर होंगे। वे मिलकर कॉलेज के प्रधान, उपप्रधान, महासचिव व कोषाध्यक्ष आदि पदों के लिए पदाधिकारी चुनेंगे।
यूनिवर्सिटी में: यूनिवर्सिटी में संकाय वाइज चुनाव कराए जाने पर विचार किया जा रहा है, ताकि चुनाव में न तो ज्यादा पैसा खर्च हो और न ही ज्यादा हंगामा या शोर-शराबा हो। इसमें आर्ट, साइंस, कॉमर्स, इंजीनियरिंग समेत तमाम फैकल्टी के छात्र मिलकर अपना-अपना प्रतिनिधि चुनेंगे। ये प्रतिनिधि ही यूनिवर्सिटी छात्र संघ अध्यक्ष, महासचिव, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के लिए वोटर होंगे।